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क़दम इंसान का राहे-दहर में / जोश मलीहाबादी
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02:59, 24 फ़रवरी 2010
सहर होते ही कलियों को तबस्सुम<ref>मुस्कराहट, खुशी</ref> आ ही जाता है
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Sandeep Sethi
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