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एक परवाज़ दिखाई दी है / गुलज़ार
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03:31, 24 फ़रवरी 2010
यार ने कैसी रिहाई दी है
आग ने क्या क्या जलाया है
शव पर
शब भर
कितनी ख़ुश-रंग दिखाई दी है
</poem>
Sandeep Sethi
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