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|भाषा=पंजाबी
}}
<poem>* असमानों उत्तरी इल्ल वे
तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे
सभ्भे ने कुआरियाँ, जीवें ढोला !
ओ सजना ! ओ मक्खन !
परदेसीओं का दिल राज़ी रखना !'
</poem>
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