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धमकी में मर गया / ग़ालिब

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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>धमकी में मर गया जो न बाबे-नबर्द<ref>युद्ध का अभ्यासी</ref> था
इश्क़े-नबर्द-पेशा तलबगारे-मर्द था
धमकी में मर गया जो न बाब-ए-नबर्द था<br>ज़िन्दगी में मर्ग का खटका लगा हुआइश्क़-ए-नबर्द पेशह तलबगार-ए-मर्द उड़ने से पेशतर भी मिरा रंग ज़र्द था <br><br>
था ज़िन्दगी में मर्ग का खटका लगा हुआतालीफ़<brref>उड़ने से पेशतर भी मिरा रंग ज़र्द सम्पादन></ref> नुसख़ा-हाए-वफ़ा<ref>वफ़ा की किताब</ref> कर रहा था मैंमजमूअ-ए-ख़याल<brref>विचार-समूह<br/ref>अभी फ़र्द-फ़र्द<ref>बिखरा हुआ</ref> था
तालीफ़दिल ता ज़िग़र कि साहिल-ए नुसख़हहा-दरया-ए-वफ़ा कर रहा था मैं<br>खूं है अबमज्मू`अहइस रहगुज़र में जलवा-ए-ख़याल अभी फ़र्द-फ़र्द गुल आगे दर्द था <br><br>
दिल ता जिगर कि साहिल-ए-दरया-ए-ख़ूं जाती है अब<br>उस रहगुज़र में जलवहकोई कश्मकश अन्दोहे-ए-गुल आगे गर्द था इश्क़<brref>प्रेम की वेदना<br/ref>कीदिल भी अगर गया, तो वही दिल का दर्द था
जाती है कोई कश्मकश अन्दोहअहबाब<ref>मित्र</ref> चारा-साज़ी-ए-`इश्क़ कीवहशत<brref>उन्माद का उपचार</ref> न कर सकेदिल ज़िन्दां में भी अगर गया तो वही दिल का दर्द था ख़याल बयाबां-नवर्द<brref>जंगल में घूमना<br/ref>था
अह्बाब चारहयह लाश बेकफ़न 'असदे-साज़ीख़स्ता-ए-वहशत न कर सकेजां' की हैहक़ मग़फ़िरत<brref>ज़िन्दां में भी ख़याल बियाबां-नवर्द था मुक्ति<br/ref>करे अजब आज़ाद मर्द था<br/poem>
यह लाश-ए-बे-कफ़न असद-ए-ख़स्तह-जां की है<br>हक़ मग़्फ़रत करे `अजब आज़ाद मर्द था{{KKMeaning}}
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