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--इस लोकगीत में एक पत्नी अपने परदेसी पति को याद कर रही है। अभी उसके कोई संतान भी नहीं है तो वो खुद को बहुत अकेला महसूस करती है।--
{| style="color:whiteblack"
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| bgcolor="redwhite"|cell1 || width="300400" bgcolor="blue"|cell2 || bgcolor="green"|cell3|} <poem>मिटटी दा मैं बावा बनाणीआं
उत्ते चा दिन्नी आं खेसी
वतनां वाले माण करन
मेरा सोहणा माही, आजा वे
</poem>
|| width="400" bgcolor="blue"|cell2
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