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{{KKRachna
|रचनाकार=अहमद फ़राज़
|संग्रह=दर्द आशोब / फ़राज़ ; : ज़िंदगी!ऐ ज़िंदगी! / फ़राज़
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[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}
<poem>
अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन
ज़ख़्म फूलों की तरह महकेंगे पर देखेगा कौन
देखना सब रक़्स-ए-बिस्मल में मगन हो जायेंगे जाएँगे
जिस तरफ़ से तीर आयेगा उधर देखेगा कौन
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