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कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा / इब्ने इंशा
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04:22, 1 मार्च 2010
हम भी वहीं मौजूद थे हम से भी सब पूछा किए,
हम
हंस
हँस
दिए हम चुप रहे मंजूर था परदा तेरा|
इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटी महिफ़लें,
Sandeep Sethi
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