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नये युग के स्पार्ट्कस / मुकेश मानस
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मुकेश मानस
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कभी हुआ था एक मनु
अब कैसे चढ़ा पाओगे
हम को किसी भी सूली पर
'''रचनाकाल''' :
2001</
poem
>
अनिल जनविजय
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