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जहां तेरा नक़्शे-क़दम / ग़ालिब
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,
17:11, 5 मार्च 2010
तेरे सर्वे-क़ामत<ref>सर्व के पेड़ जैसा लंबा कद</ref> से इक क़द्दे-आदम<ref>मनुष्य के क़द जितना</ref>
क़यामत के फ़ित्ने
<ref>उपद्रव
</ref>
को कम देखते हैं
तमाशा कर ऐ महवे-आईनादारी<ref>आईना देखने में मस्त</ref>
द्विजेन्द्र द्विज
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