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बाज़ीगिरी / चंद्र रेखा ढडवाल
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04:17, 7 मार्च 2010
बीड़ी पीने तलैया का-सा
***
बेसन के
भीतेर
भीतर
छिपी
मछली के साथ
कब सिकुड़ता
कब फटता है वह.
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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