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03:53, 9 मार्च 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार= ग़ालिब
|संग्रह= दीवान-ए-ग़ालिब / ग़ालिब
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
शबनम ब-गुल-ए-लाला<ref>टयूलिप</ref> न ख़ाली ज़-अदा<ref>अदा से भरपूर</ref> है
दाग़-ए-दिल-ए-बेदरद नज़र-गाह-ए-हया है<ref>बिना दर्द के दिल के दाग़ शर्मनाक हैं</ref>
दिल ख़ूं-शुदा-ए<ref>खून बह जाना</ref> कशमकश-ए-हसरत-ए-दीदार
आईना ब दस्त-ए बुत-ए बद-मसत हिना है<ref>बुत जिसके हाथ में शीशा है वो हाथों की मेंहदी से मंत्र-मुग्ध है</ref>
शोले से न होती हवस-ए-शोला ने जो की
जी<ref>मन</ref> किस क़दर अफ़सुर्दगी-ए-दिल पे जला है
तिम्साल<ref>झलक</ref> में तेरी है वह शोख़ी कि ब सद-ज़ौक़
आईना, ब अनदाज़-ए-गुल<ref>गुलाब की तरह</ref> आग़ोश-कुशा है
क़ुमरी<ref>सफेद कबूतर</ref> कफ़-ए-ख़ाकसतर<ref>मुठ्ठी भर मिट्टी</ref>-ओ-बुलबुल क़फ़स-ए-रंग<ref>रंग भरा डिब्बा</ref>
ऐ नाला, निशान-ए जिगर-ए सोख़ता<ref>जला हुआ</ref> क्या है?
ख़ू<ref>मिज़ाज</ref> ने तेरी अफ़सुर्दा<ref>ठंडा</ref> किया वहशत-ए दिल को
माशूक़ी-ओ-बे-हौसलगी तुरफ़ा<ref>नायाब</ref> बला है
मजबूरी-ओ-दावा-ए गिरफ़्तारी-ए-उल्फ़त
दसत-ए-तह-ए-संग-आमद<ref>पत्थर के नीचे आया हाथ</ref> पैमान-ए-वफ़ा है
मालूम हुआ हाल-ए-शहीदान-ए, गुज़िश्ता<ref>गुज़र चुके, मर चुके</ref>
तेग़-ए सितम<ref>जुल्म की तलवार</ref> आईना-ए-तस्वीर-नुमा<ref>प्रतिबिम्ब दिखाने वाला आईना</ref> है
ऐ परतव-ए-ख़ुरशीद-ए-जहां-ताब<ref>दुनिया को रोशन करने वाले सूरज</ref>, इधर भी
साये की तरह हम पे अ़जब वक़्त पड़ा है
ना-करदा<ref>न किए हुए</ref> गुनाहों की भी हसरत की मिले दाद
या रब! अगर इन करदा गुनाहों की सज़ा है
बेगानगी-ए ख़ल्क़<ref>दुनिया की अवज्ञा</ref> से बेदिल न हो 'ग़ालिब'
कोई नहीं तेरा तो मेरी जान ख़ुदा है
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