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अकेले ... और ... अछूत / अंशु मालवीय
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04:23, 10 मार्च 2010
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<poem>
... हम
तुमस
तुमसे
क्या उम्मीद करते
बाम्हन देव!
तुमने तो ख़ुद अपने शरीर के
Sandeep Sethi
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