1,009 bytes added,
10:14, 11 मार्च 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
|संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
}}
{{KKCatKavitt}}
<poem>
ऊधौ यह ज्ञान कौ बखान सब बाद हमैं
::सूधौ बाद छाँड़ि बकबादहिं बढावै कौन ।
कहै रतनाकर बिलाय ब्रह्म काय माहिं
::आपने सौं आपनुपौ आपुनौ नसावै कौन ॥
काहू तौ जनम मैं मिलैंगी श्यामसुन्दर कौ
::याहू आस प्रानायाम-सांस मैं उड़ावै कौन ।
परि कै तिहारी ज्योति-ज्वाल की जगाजग मैं
::फेरि जग जाइबे की जुगती जरावै कौन ॥51॥
</poem>