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|रचनाकार=ग़ालिब|संग्रह= दीवान-ए-ग़ालिब / ग़ालिब
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
चाहिये, अच्छों को जितना चाहिये
ये अगर चाहें, तो फिर क्या चाहिये
चाहिये अच्छों को जितना चाहियेसोहबत-ए-रिन्दां<brref>रसिकों(शराबीयों) की संगत</ref> से वाजिब<ref>सही</ref> है हज़र<ref>दूर रहना</ref>ये अगर चाहें तो फिर क्या जा-ए-मै<ref>शराबखाना</ref> अपने को खेंचा चाहिये<brref>खींच लेना<br/ref>
सोहबत-ए-रिन्दां से वाजिब है हज़र<br>चाहने को तेरे क्या समझा था दिलजा-ए-मै अपने को खेंचा चाहियेबारे<brref>आखिर<br/ref>, अब इस से भी समझा चाहिये
चाहने को तेरे क्या समझा था दिलचाक मत कर जैब<brref>बारे अब इस से भी समझा चाहियेकमीज की गरदनी<br/ref>बे-अय्याम-ए-गुल<brref>बिना गुलाबों के मौसम के</ref>कुछ उधर का भी इशारा चाहिये
चाक मत कर जेब बे अय्याम-ए-गुल<br>कुछ उधर दोस्ती का भी इशारा पर्दा है बेगानगीमुंह छुपाना हम से छोड़ा चाहिये<br><br>
दोस्ती का पर्दा है बेगानगी<br>दुश्मनी में मेरी खोया ग़ैर कोमुंह छुपाना हम से छोड़ा किस क़दर दुश्मन है, देखा चाहिये<br><br>
दुश्मनी अपनी, रुस्वाई में मेरी खोया ग़ैर कोक्या चलती है सअई<brref>मर्ज़ी</ref>किस क़दर दुश्मन है देखा चाहियेयार ही हंगामाआरा<brref>हल्ला-गुल्ला करने वाला<br/ref>चाहिये
अपनी रुस्वाई में क्या चलती है सअईमुन्हसिर<brref>निर्भर</ref> मरने पे हो जिस की उमीद<ref>उम्मीद,आशा</ref>यार ही हंगामाआरा चाहियेनाउमीदी<brref>ना-उम्मीदगी, निराशा<br/ref>उस की देखा चाहिये
मुन्हसिर मरने पे हो जिस की उमीदग़ाफ़िल<brref>नाउमीदी उस की देखा चाहियेअंजान<br/ref>, इन महतलअ़तों<brref>चाँद से चेहरे वालों</ref> के वास्तेचाहने वाला भी अच्छा चाहिये
ग़ाफ़िल इन महतलअतों के वास्तेचाहते हैं ख़ूबरुओं<brref>चाहने वाला भी अच्छा चाहियेसुँदर चेहरे वाले<br/ref><br> चाहते हैं ख़ूबरुओं को , "असद"<br>आप की सूरत तो देखा चाहिये<br><br/poem>{{KKMeaning}}