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सदस्य वार्ता:Vijay Pratap Singh Rajput

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/* जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे */ नया विभाग
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== जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे ==
 
जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
 
मन को अपने मार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
 
 
जिंदगी है खेल उसको मुस्कुरा कर खेलिए
 
जिंदगी है जेल उसको मुस्कुरा कर झेलिये
 
जिंदगी को भार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
 
जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
 
 
जिंदगी से बंधु मेरे प्यार करना सीखिए
 
जिंदगी में प्यार का इज्हार्कारना सीखिए
 
प्यार में तकरार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
 
जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
 
 
जिंदगी रब की नियामत है नहीं मिलती सदा
 
जिंदगी एक मुस्कराहट है नहीं खिलती सदा
 
आंसुओं से प्यार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
 
जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
 
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V.P.SINGH RAJPUT