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07:36, 14 मार्च 2010 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा= पंजाबी }}
<poem>
मेनू हीरे हीरे आखे हाय
नी मुंडा लम्बरा दा ,
मेनू वांग शुदैयाँ छनके
हाय नी मुंडा लम्बर दा ,
नी मुंडा लम्बर दा!
सुबा सवारे उठ नदिया
मैं जानी आ
मल मल दही दियाँ फुटियां नहौनियां ,
नी उहदे पाणी च सुनींदे हासे ,
हाय नी मुंडा लम्बरा दा,
मेनू वांग शुदैयाँ छणके
मुंडा लम्बर दा
हाय नी मुंडा लम्बरा दा,
सुबा सवारे उठ खुही मे जानीआ
सुहा शुआ गहरा जद धके मै लौनी आ ,
मैनू लगा मेरी वखी संग जापे ,
हाय नी मुंडा लम्बरा दा,
मेनू वांग शुदैयाँ छणके
मुंडा लम्बर दा
हाय नी मुंडा लम्बरा दा,
सुबा सवेरे उठ बागे मैं जानीआ
बागे मैं जानीआ, नी बागे मैं जानीआ
चुन चुन मरुआ चमेली मैं लैउनीआ ,
उहदे साह दी सुगंध औंदी जापे ,
हाय नी मुंडा लम्बरा दा,
मैंनू वांग शुदैयाँ छणके
मुंडा लम्बर दा
हाय नी मुंडा लम्बरा दा
</poem>