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हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है / ग़ालिब
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02:43, 5 जून 2010
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न<ref>अकसर बातें करना</ref> तुमसे
वगर्ना
वर्ना
ख़ौफ़-ए-बद-आमोज़िए-अ़दू<ref>दुश्मन के सिखाने-पढ़ाने का डर</ref> क्या है
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन<ref>चोला</ref>
द्विजेन्द्र द्विज
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