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निर्वाण षडकम / मृदुल कीर्ति
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<poem>
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ॐ
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निर्वाण षडकम
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श्री आदि शंकराचार्य द्वारा विरचित
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मैं मन, बुद्धि, न चित्त अहंता, न मैं धरनि न व्योम अनंता.
सम्यक
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