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'''रचनाकार् - मजरु सुलतानपुरी'''{{KKGlobal}}{{KKFilmSongCategories|वर्ग= बालगीत}}{{KKFilmRachna|रचनाकार= मजरूह सुल्तानपुरी}}
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( गुडियागुड़िया, हमसे रुठी रूठी रहोगीकब् तक् ना हंसोगीदेखो जी कीरन् सी लहर् आ ईआ ई रे आ ई रे हंसी आ ईदेखो जी कीरन् सी लहर् आ ईआ ई रे आ ई रे हंसी आ ई ) - 2गुडिया ( झुकी-झुकी पलकों मे आ केदेखो गुप्-चुप् आँखो से झांकेतुम्हारी हंसीगुप्-चुप् आँखो से झांके ) -२फिर् भीअंखीयाँ बन्द् करोगी कब् तक् ना हसोगीकब तक, न हँसोगीदेखो जी कीरन् , किरन सी लहर् आ ईलहराईआ ई आई रे आ ई आई रे हंसी आ ई ) - 2हँसी आईगुडियागुड़िया ...
( अभीझुकी-अभी आँखो झुकी पलकों में आ केदेखो गुपचुप आँखों से छलकेअभी कुछ्-कुछ् होठों पे झलकेझाँकेतुम्हारी हंसीकुछ्-कुछ् होठों पे झलके ) -२हँसीफिर् फिर भी, अँखियाँ बन्द करोगीमुख् पे हाथ् धरोगीगुड़िया ...
कब् तक् ना हंसोगीअभी-अभी आँखों से छलके( देखो जी किरन् सि लहराईआ ई रे आ ई रे हंसी आ ई ) कुछ-कुछ होंठों पे झलकेगुडियातुम्हारी हँसीहमसे रुठी रहोगीफिर भी, मुख पे हाथ धरोगीकब् तक् ना हसोगी( देखो जि किरन् सि लहराईआ ई रे आ ई रे हंसी आ ई ) -२गुड़िया ...
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