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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का <br>'अकबर' ये ग़ज़ल मेरी है अफ़साना किसी का <br><br>
गर शैख़ोशैख़-ओ-बहरमन <ref>धर्मोपदेशक</ref> सुनें अफ़साना किसी का <br>माबद <ref>पूजा का स्थान</ref> न रहे काबकाबा-ओ-बुतख़ाना किसी का <brref>काबा और मंदिर<br/ref>किसी का
अल्लाह ने दी है जो तुम्हे चांद-सी सूरत<br>रौशन भी करो जाके सियहख़ाना किसी का <brref>अँधेरे भरा कमरा<br/ref>किसी का
अश्क आँखों में आ जाएँ एवज़ <ref>बदले में</ref> नींद के साहब <br>ऐसा भी किसी शब सुनो अफ़साना किसी का <br><br>
इशरत <ref>धूमधाम</ref> जो नहीं आती मिरे मेरे दिल में, न आए <br>हसरत ही से आबाद है वीराना किसी का<br><br>
करने जो नहीं देते बयाँ हालतेबयां हालत-ए-दिल को <br>सुनिएगा लबेलब-ए-ग़ौर से अफ़साना किसी का <brref>ध्यान से<br/ref>से अफ़साना किसी का
कोई न हुआ रूह का साथी दमेदम-ए-आख़िर<br>काम आया न इस वक़्त में याराना किसी का<br><br>
हम जान से बेज़ार <ref>ना-खुश</ref> रहा करते हैं 'अकबर' <br>जब से दिलेदिल-ए-बेताब है दीवाना किसी का <br/poem>{{KKMeaning}}
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