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घूरती है मुझे ये नर्गिस-ए-शेहला कैसा
मसीहा यूँ ही करते हैं मरीज़ों का इलाज कुछ न पूछा के कि है बीमार हमारा कैसा
क्या कहा तुमने के , कि हम जाते हैं , दिल अपना संभाल
ये तड़प कर निकल आएगा संभलना कैसा
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