गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
एते दूरि देसनि सौं सखनि-सँदेसनि सौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
2 bytes added
,
15:11, 26 मार्च 2010
::रीति नीति निपट भुजंगनि की न्यारी है ।
आँखिनि तैं एक तो सुभाव सुनिबै कौ लियौ
::
काननि तैं एक देखिबै की टेक धारी है ॥71॥
</poem>
Himanshu
916
edits