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[[Category:गज़ल]]
<poem>सब की पूजा एक सी, अलग अलग हर रीत <br>
मस्जिद जाये मौलवी, कोयल गाये गीत
 पूजा घर में मूर्ती, मीरा के संग श्याम <br>
जितनी जिसकी चाकरी, उतने उसके दाम
 सीता, रावण, राम का, करें विभाजन लोग <br>
एक ही तन में देखिये, तीनों का संजोग
 मिट्टी से माटी मिले, खो के सभी निशाँ <br>निशां
किस में कितना कौन है, कैसे हो पहचान
</poem>
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