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[[Category:गज़ल]]
<Poem>
 
मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये
जहाँ तक हो अदाकारी से बचिये
हर एक सूरत भली लगती है कुछ दिन
लहू के की शोबदाकारी <ref>धोखा</ref> से बचिये
शराफ़त आदमियत दर्द-मन्दी
ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल में आना
तक़ल्लुफ़ की रवादारी <ref>उदारता</ref> से बचिये
बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं
बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिये
 
'''शब्दार्थ :
शोबदा= हातचलाखी, धोखा
रवादारी= उदारता, सह्र्दयता
</poem>
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