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|रचनाकार=जावेद अख़्तर
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[[Category:ग़ज़ल]]<poem>
इक पल गमों का दरिया, इक पल खुशी का दरिया
रूकता नहीं कभी भी, ये ज़िन्‍दगी का दरिया
रूकता नहीं कभी भी, ये जिन्‍देगी का दरिया आँखें थीं वो किसी की , या ख्‍वाब के ख़्वाब की ज़ंजीरे आवाज़ थी किसी की , या रागिनी का दरिया इस दिल की वादियों में अब खाक उड़ रही है बहता यहीं था पहले इक आशिकी का दरिया
किरनों इस दिल की वादियों में हैं ये लहरें, या लहरों में हैं किरनें अब खाक उड़ रही हैबहता यहीं था पहले, इक आशिकी का दरिया
किरनों में हैं ये लहरें, या लहरों में हैं किरनें
दरिया की चाँदनी है, या चाँदनी का दरिया
</poem>
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