Changes

<Poem>
कुशल तूलिका वाले कवि की नारी एक कला है।
 
फूलों से भी अधिक सुकोमल
नरम अधिक नवनी से,
अति इन्दु मनी से,
नवल शक्ति भरने वाली वह कभी नहीं अबला है।
 
तनया-प्रिया-जननि के
अवगुण्ठन में रहने वाली,
जीवन में बहने वाली,
विरह मिलन की धूप-छाँह में पलती शकुन्तला है।
 
है आधार-शिला सुन्दरता की
मधु प्रकृति-परी सी,
मनु की उस तरुण-तरी सी,
तिमिरावृत्त जीवन के श्यामल पट पर चंद्र्कला है।
 
करुणा की प्रतिमा वियोग की
मूर्ति-मधुर-अलबेली
जग आधार अकेली,
सारी संसृति टिकी हुई ऐसी सुन्दर अचला है
 
अमृत-सिन्धु ,अमृतमयी
जग की कल्याणी वाणी।
तेरी चरण निशानी,
तेरे ही प्रकाश से जगमग दीप जला है।
 
नारी एक कला है॥
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,606
edits