{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
आमद-ए-ख़त<ref>उजाला होने</ref> से हुआ है सर्द जो बाज़ार-ए-दोस्त
यह ग़ज़ल अपनी मुझे जी से पसन्द आती है आप
है रदीफ़<ref>हर शेर के अन्त में आने वाले समान शब्द</ref>-ए-शेर में 'ग़ालिब' ज़बस तकरार-ए-दोस्त<ref>प्रिय शब्द का बार-बार ज़िक्र</ref>
</poem>{{KKMeaning}}