गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कबीर दोहावली / पृष्ठ १
No change in size
,
02:32, 16 अप्रैल 2010
जो सुख मे सुमरिन करे, दुख काहे को होय ॥ 1 ॥ <BR/><BR/>
तिनका कबहुँ न निंदिये, जो
पाँव तले
पाँयन तर
होय । <BR/>
कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥ 2 ॥ <BR/><BR/>
डा० जगदीश व्योम
929
edits