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|रचनाकार=रवीन्द्र दास
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<poem>
मैं अपने जन्म-दिन के दिन सोचता हूँ
 
कि कोई अपने जन्म-दिन पर खुश कैसे हो पाता है ?
 
मैं अपने जन्म-दिन के दिन
 
खुश होने की कोशिश करना भूल जाता हूँ।
 
फिर भी मैं सोचता हूँ
 
कि किसी के जन्म-दिन, मसलन , गाँधी या ईसा के जन्मदिन पर
 
छुट्टी क्यों होती है?
 
किसकी और किससे होती है ?
 
और सोचता हूँ
 
कि जन्म लेना ख़ुशी की बात है या दुःख की बात !
 
हालाँकि यह सोचना अच्छानहीं लगता
 
फिर भी सोचता हूँ कि
 
जन्म लिया जाता है
 
या जन्म दिया जाता है ?
 
साथ में मैं यह भी सोचता हूँ
 
कि जन्म लेना ख़ुशी की बात है
 
या जन्म दिन मनाना ख़ुशी की बात ।
 
सच बताऊँ तो मैं सोचता नहीं
 
बस जानना चाहता हूँ
 
कि ख़ुशी का कोई कारण होता है
 
या यहाँ भी सिर्फ मनमानी है।
</poem>