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धागे / सुभाष काक

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''(१९७७, "लन्दन पुल" नामक पुस्तक से)''
 
जब अनुभूति तर्क में बन्धे
मेरी चाह इतनी है
कि चाह ही इसकी पूर्ति है।   ''(१९७७, "लन्दन पुल" नामक पुस्तक से)''