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शेष कितनी रात ? / महादेवी वर्मा
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14:40, 22 अप्रैल 2010
आज उत्तर हो सभी का ज्वालवाही श्वास तेरा !<br>
छीजता है इधर तू उस ओर बढ़ता प्रात !<br>
प्रणत लौ की आरती ले,<br>
धूम-लेखा स्वर्ण-अक्षत नील-कुमकुम वारती ले,<br>
डा० जगदीश व्योम
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