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आज उत्तर हो सभी का ज्वालवाही श्वास तेरा !<br>
छीजता है इधर तू उस ओर बढ़ता प्रात !<br>
 
प्रणत लौ की आरती ले,<br>
धूम-लेखा स्वर्ण-अक्षत नील-कुमकुम वारती ले,<br>