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उन्मत्त-बयार / कौशल्या गुप्ता
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16:55, 24 अप्रैल 2010
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<poem>
खुसफुस
मतकर
मत कर
!
माना, तू मेरी सहेली है।
पर, है तू उन्मत्त,
अनिल जनविजय
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