उतरेंगे
हरे पेड़ों की
सबसे ऊंची ऊँची फुनगियों पर
और हम
बहेलिये के जाल से
अच्छे दिन दोस्त हैं
मिलेंगे
याञा यात्रा के किसी मोड़ पर
और हम
उनसे कभी न बिछुड़ने का
वादा करेंगे.करेंगे।
</poem>
--[[सदस्य:Pradeep Jilwane|Pradeep Jilwane]] 10:45, 24 अप्रैल 2010 (UTC)