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नहीं / लाल्टू

102 bytes added, 19:52, 26 अप्रैल 2010
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=लाल्टू|संग्रह= एक झील थी बर्फ़ की / लाल्टू}}<poem>नहीं बनना मुझे ऐसी नदी<br />जिसे पिघलती मोम के<br />'प्रकाश के घेरे में घर' चाहिए<br /><br />शब्‍द जीवन से बड़ा है यह<br />गलतफहमी जिनको हो<br />उनकी ओर होगी पीठ<br /><br />रहूं रहूँ भले ही धूलि -सा<br />फिर भी जीवन ही कविता होगी<br />मेरी.<br />मेरी।<br /poem>
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