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11:32, 27 अप्रैल 2010 प्रत्येक आवाज खटका है<br />
बच्चे का मॉं! कहकर पुकारना<br />
खत्म होती हरियाली में<br />
बीज से अंकुर का निकलना <br />
खाली मुट्ठी में बंद हवा का छूटकर<br />
जमीन पर गिरना खटका है.<br />
पानी पीना और रोटी चबाना भी.<br />
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बचाओ! बचाओ!! चिल्ला सकने वाले लोग<br />
बचाओ भी नहीं चिल्लाते<br />
कोई बचा है<br />
यह पूछने वाला भी नहीं बचेगा<br />
लगता है दुनिया को नष्ट करने का धमाका<br />
अभी शायद हो<br />
हो सकता है जिंदगी को नष्ट करने के धमाके के पहले<br />
जिंदगी का बड़ा धमाका हो.<br />
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