गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
हिमाद्रि तुंग शृंग से / जयशंकर प्रसाद
1 byte added
,
08:17, 28 अप्रैल 2010
<Poem>
हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा
स्वयं प्रभा
समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती
'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!'
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,667
edits