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<Poem>
किस ऋतु का फूल सूंघूंसूँघूँकिस हवा में सांस लूंसाँस लूँकिस डाली का सेब खाऊंखाऊँकिस सोते का जल पियूंपियूँपर्यावरण वैज्ञानिकों! कि बच जाऊंजाऊँ
किस नगर में रहने जाऊंजाऊँकि अकाल न मारा जाऊंजाऊँकिस कोख से जनम लूंलूँकि हिन्दू न मुस्लिम कहलाऊंकहलाऊँसमाज शास्ञियों! कि बच जाऊंजाऊँ
किस बात पर हंसूंहँसूँकिस बात पर रोऊंरोऊँ
किस बात पर समर्थन
किस पर विरोध जताऊंजताऊँहे राजन! कि बच जाऊंजाऊँ
गेंदे के नाजुक पौधे-सा
कब तक प्राण बचाऊंबचाऊँकिस मिट्टी में उगूंउगूँकि नागफनी बन जाऊंजाऊँप्यारे दोस्तों! कि बच जाऊं.जाऊँ</poem>