और वह फेंके
एक चिडिया चिड़िया का कंठइंतजार इंतज़ार में है
कि शब्द पकें
और वह गायेगाए
और शब्द पक रहे हैं
बेमौसम
इस वक्तवक़्त
जब एक खरगोश भी
अपने कान
एक चिडिया भी गा नहीं सकती
कितनी खतरनाक ख़तरनाक बात है
कि शब्द पक रहे हैं
गिर सकते हैं
कभी भी
वसंत और चिडियों की नींद में.में।</poem>