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देखती है
और धरती पर मारती है
लार और हॅंसी हँसी से सना
उसका चेहरा
अभी इतना मुलायम है
कि पूरी धरती
थूक के फुग्‍गे में उतारे है.है।
अभी सारे मकान
कागज काग़ज़ की तरह हल्‍के हवा में हिलते हैं.हैं।
आकाश अभी विरल है दूर
उसके बालों को
धीरे-धीरे हिलाती हवा
फूलों का तमाशा है
वे हॅंसते हँसते हुए
इशारे करते हैं:
दूर-दूरान्‍तरों से
उत्‍सुक काफिलेकाफ़िलेधूप में चमकते हुए आऍंगे.आएँगे।
सुंदरता!
जन्‍म चाहिए
हर चीज चीज़ को एक औरजन्‍म चाहिए.चाहिए।</poem>
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