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इस घर में / नवीन सागर
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15:17, 2 मई 2010
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<Poem>
इस घर में घर से
ज्यादा
ज़्यादा
धुआँ
अँधेरे से ज्यादा अँधेरा
दीवार से बड़ी दरार।
अनिल जनविजय
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