कितने इसके तारे टूटे<br>
कितने इसके प्यारे छूटे<br>
जो छूट गये फ़िर कहां फिर कहाँ मिले<br>
पर बोलो टूटे तारों पर<br>
कब अंबर शोक मनाता है<br>
वह सूख गया तो सूख गया<br>
मधुबन की छाती को देखो<br>
सूखी कितनी इसकी कलियांकलियाँ<br>मुरझाईं कितनी वल्लरियांवल्लरियाँ<br>जो मुरझाईं फ़िर कहां फिर कहाँ खिली<br>पर बोलो सूखे फ़ूलों फूलों पर<br>
कब मधुबन शोर मचाता है<br>
जो बीत गई सो बात गई<br>
मृदु मिट्टी के बने हुए हैं<br>
मधु घट फ़ूटा फूटा ही करते हैं<br>
लघु जीवन ले कर आए हैं<br>
प्याले टूटा ही करते हैं<br>