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कुल वधुओं सी अयि सलज्ज, सुकुमार!
:सौरभ अतिशय
:पुलकित कर देती मन!
 
:उन्नत वर्ग वृंत पर निर्भर,
:तुम संस्कृत हो, सहज सुघर,
:करती हो गोपन कूजन!
:जग से चिर अज्ञात,
:तुम्हें बाँधे निकुंज गृह द्वार!
कुल वधुओं सी अयि सलज्ज, सुकुमार!
कुल वधुओं सी अयि सलज्ज, सुकुमार!
:हाय, नहीं करुणा ममता है मन में कही तुम्हारे!
:तुम्हें बुलाते
:रोते गाते
:शोभा ही के मारे!
:केवल हास विलास मयी तुम!
:केवल मनोभिलाष मयी तुम!:विभव भोग उल्लास मयी तुम!
:तुमको अपनाने के सारे
:व्यर्थ प्रयत्न हमारे!
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