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ग्राम युवती / सुमित्रानंदन पंत
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08:32, 4 मई 2010
सर्प डगर पर!
सरकती
सरकाती
-पट,
खिसकाती-लट, -
शरमाती झट
अबला चंचल
ज्यों फूट पड़ा हो स्रोत सरल
भर
फेनो्ज्वल
फेनोज्वल
दशनों से अधरों के तट!
वह मग में रुक,
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