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सौन्दर्यँ दशर्नम् / संस्कृत
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05:16, 8 मई 2010
मम समक्षे स्थिता श्रोणि वक्षोन्नता<br>
अप्रयासांग स्पर्शनं कामये।<br>
सैव दृष्टा मया अद्य नद्यास्तटे<br>
सा जलान्निर्गता भाति क्लेदित पटे<br>
डा० जगदीश व्योम
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