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बादरु गरजइ बिजुरी / कन्नौजी
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05:27, 8 मई 2010
काहू सौतिन...।।
सावन सूखि
मई
गई
सब काया
देखु भक्त कलियुग की माया,
घर की खीर, खुरखुरी लागइ
डा० जगदीश व्योम
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