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दीन भारतवर्ष / महादेवी वर्मा
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17:52, 5 मार्च 2007
विश्व में करतार ने,
आकृष्ठ
आकृष्ट
था सब को किया
तेरे, मधुर व्यवहार ने।
गान सुनते थे भले,
रब
रव
है उलूकों का वहाँ
क्या भाग्य
है
हैं
अपने जले।
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घनश्याम चन्द्र गुप्त