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अलि! इन भोली-बातों को / सुमित्रानंदन पंत
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06:22, 13 मई 2010
:फूलों में फैला आऊँ?
अपने ही सुख में खिल-खिल
उठते ये
लधु
लघु
-लहरों-से,
अलि! नाच-नाच इनके संग
इनमें ही मिल-मिल जाऊँ?
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