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नौका-विहार / सुमित्रानंदन पंत
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07:04, 13 मई 2010
:ज्यों-ज्यों लगती है नाव पार
:उर में आलोकित शत विचार।
इस धारा-सा ही जग का क्रम, शाश्वत इस जीवन
की
का
उद्गम,
:शाश्वत है गति, शाश्वत संगम।
शाश्वत नभ का नीला-विकास, शाश्वत शशि का यह रजत-हास,
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