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1.
पोते 'पोमेड' मले मुख 'पौडर' ऐनक आँख चढ़ी 'गजनैनी'
आननपै करके 'करचीफ' धरे, जनु जर्म बचावत जैनी
टेढ़ा करै मुख ऐसा बनाय के भोजपुरी मनो खात है खैनी
कूदती ये स्कूल चलै 'मृग-गामिनी' भामिनी 'मेढकबैनी'
नोट: जैनी = जैन धर्म मानने वाले
2. यह भात सा गात आफिस में कंपोजीटर कापी कापी चिल्लाता है फूला हुआकूड़ा-करकट रचनाएँ पढ़, अथवा पकी रोटी तंदूर की सर में चक्कर आता है जग जाता जहान सुने बरबैनबीत गयी तिथि, सुबानी मनो तमचूर की है पत्र न निकला, ग्राहकगण ने किया प्रहार कच काले तीन मास से बाल के हैं ये बढ़ेमिला न वेतन, कि यह लंबी सी लूम लंगूर की हैलौटा घर होकर लाचार मुख पे हैं मुहासे ये लाल घने मनो लीची मुजफ्फरपूर की है बोलीं बेलन लिए श्रीमती, होली का सामान कहाँ, छूट गयी हिम्मत, बाहर भागा, मैं ठहरा नहीं वहाँ नोट; जग जाता = जाग जाता चुन्नी, मुन्नी, कल्लू, मल्लू, लल्लू, सरपर हुए सवार,तमचूर = मुर्गा सम्पादकजी हाय मनायें कैसे होली का त्यौहार
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