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हर कोई / लाल्टू

24 bytes added, 06:47, 24 मई 2010
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=
}}{{KKCatKavita‎}}<poem>हर किसी की ज़िंदगी में आता है ऐसा वक्तवक़्त
उठते ही एक सुबह
पिछले कई महीनों की प्रबल आशंका
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